देवनगरी महाविद्यालय गुलावठी बुलंदशहर में ‘योग के माध्यम से जीवन में बदलाव’ विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता राजकीय महाविद्यालय माकड़ौन, इंदौर के कार्यवाहक प्राचार्य तथा स्पोर्ट्स ऑफिसर डॉ नमन सारस्वत ने कहा की कृष्ण ने कर्म की कुशलता को ही योग बताया है। योग मनुष्य की आंतरिक प्रकृति को बाहरी प्रकृति के साथ जोड़ता है। उन्होंने कहा कि महाभारत के रणक्षेत्र में कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया ज्ञान ही परम योग है। योग का इतिहास मानव जीवन जितना पुराना है। शिव जीवन व जीवात्मा के प्रतीक हैं। उन्होंने पतंजलि के योग के चार पथों समाधि पथ, साधना पथ, विभूति पद तथा कैवल्य पथ का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अनुशासन ही योग है। मानव जीवन में अनुशासित रहकर अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने पतंजलि के अष्टांग योग में यम को मानव जीवन में व्यवहारिक बताया।
वेबीनार को संबोधित करते हुए प्राचार्य प्रोफ़ेसर योगेश कुमार त्यागी ने कहा कि योग केवल शारिरिक क्रियाओं का अभ्यास ही नहीं है। यह मन को नियंत्रित करने तथा उसके माध्यम से अपने आपको जानने का प्रयास है।
मुख्य संयोजक शारीरिक शिक्षा विभाग के असिस्टेंट प्रो0 डॉ अवधेश कुमार सिंह ने योग को शारीरिक स्वास्थ्य के लिए उपयोगी बताया।
मुख्य अतिथि का परिचय पीयूष त्रिपाठी तथा आभार ज्ञापन डॉ पुष्पेंद्र कुमार मिश्र ने किया। इस अवसर पर विनीता गर्ग, डॉ विनय कुमार सिंह, संदीप कुमार सिंह, भवनीत बत्रा,नवीन तोमर, कृष्ण कुमार तथा छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।