देवनागरी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गुलावठी में हिंदी विभाग द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव अभियान के अंतर्गत एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस आयोजन का शीर्षक भारत की आज़ादी में हिंदी साहित्यकारों का योगदान था। इस बेबीनार के मुख्य वक्ता डॉ मोनू सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर, हिंदी विभाग चौधरी चरण सिंह महाविद्यालय खतौली, मुजफ्फरनगर थे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रोफेसर योगेश कुमार त्यागी ने की।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता ने भारत की आजादी के संदर्भ में हिंदी साहित्यकारों के योगदान को रेखांकित किया। मुख्य वक्ता ने कहा कि साहित्य और समाज के बीच गहरा संबंध है तथा साहित्य समाज का पथ प्रदर्शन करता है। मुख्य वक्ता ने भारतेंदु युग, पुनर्जागरण काल एवं द्विवेदी युग से जुड़े साहित्यकारों का परिचय देते हुए स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी रचनाओं के प्रभाव का व्यापक विवरण दिया। इस अवसर पर प्राचार्य योगेश कुमार त्यागी ने स्वाधीनता आंदोलन में स्वदेशी की अवधारणा को हिंदी साहित्य के साथ जोड़ते हुए भारतीय स्वाधीनता संग्राम में लोक साहित्य तथा स्थानीय बोलियों और परंपराओं की भूमिका की सराहना की।
कार्यक्रम के संयोजक हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर संदीप कुमार सिंह ने बताया कि भारतीय इतिहास पर हिंदी साहित्य का व्यापक प्रभाव पड़ा है तथा वर्तमान भारत के निर्माण में हिंदी साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका है। डॉ अवधेश कुमार सिंह ने मुख्य अतिथि से श्रोताओं का परिचय कराया जबकि डॉ पुष्पेंद्र कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस अवसर पर विनीता गर्ग, डॉक्टर महेंद्र कुमार, पीयूष त्रिपाठी, हरिदत्त शर्मा, भवनीत सिंह बत्रा, विनय कुमार सिंह, नवीन तोमर, नीरज कुमार, स्वाति और रमेश यादव सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।