14 September 2020 निदेशक (उच्च शिक्षा) उत्तर प्रदेश के पत्रांक: डिग्री विकास/661-669/ 2020-21, दिनांक 19/08/2020 के अनुपालन में देवनागरी स्नातकोत्तर महाविद्यालय गुलावठी बुलंदशहर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: समग्र और बहुआयामी शिक्षा की ओर बढ़ते कदम विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव महेश चंद कंसल द्वारा संदेश के माध्यम से वेबीनार का औपचारिक आरंभ किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंडिया वाटर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि नई शिक्षा नीति में आरंभिक स्तर से ही व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करने का उद्देश्य श्रम के प्रति गरिमा की भावना का विकास करना है। शिक्षा केवल रोजगार का साधन ना होकर एक महत्वपूर्ण मानवाधिकार है। उन्होंने कहा कि त्रिभाषा फार्मूला लागू किए जाने से भाषाई अस्मिता का सम्मान होगा तथा शिक्षा में व्यावहारिक पहलुओं के समावेश से जल संरक्षण जैसे विषयों के बारे में जागरूकता बढ़ेगी। यह शिक्षा सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है जिससे इसके प्रभावों का मूल्यांकन करने में सहायता मिलेगी।
भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर प्रदीप कुमार माथुर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं के बारे में राष्ट्रीय मीडिया को न्यूनतम कवरेज दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा में शिक्षण पर जोर दिए जाने से भाषाई पत्रकारिता का विकास होगा। उन्होंने ग्रामीण और नगरीय परिवेश की शिक्षा में अंतर को रेखांकित करते हुए इस अंतर को पाटने पर बल दिया। उन्होंने इस शिक्षा नीति को लागू करने में वित्तीयन की समस्या के बारे में भी चर्चा की।
बीज वक्ता चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के शिक्षाशास्त्र विभाग के प्रोफेसर प्रदीप कुमार मिश्र ने कहा कि नई शिक्षा नीति में प्रारंभिक शिक्षा और उच्च शिक्षा के ढांचे में आमूल परिवर्तन की बात कही गई है। इसमें स्कूल स्तर पर दक्षता विकास पर बल दिया जाएगा और उच्च शिक्षा में क्रेडिट व्यवस्था की शुरुआत की जाएगी। उच्च शिक्षण संस्थानों को अधिक स्वायत्तता दी जाएगी तथा शिक्षार्थियों को मल्टीपल एग्जिट की सुविधा प्रदान की जाएगी।
मुख्य वक्ता अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर तरुशिखा सर्वेश ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में वित्तीय, सामाजिक न्याय तथा बहिष्करण के मुद्दों को उठाया। उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या बाजार नई शिक्षा नीति के अनुसार अपने आप को तैयार कर रहा है? नई शिक्षा नीति को लागू करने में किसका हित जुड़ा है? तथा इसकी संचालक शक्ति सरकार, कॉरपोरेट्स या किसी अन्य के पास है? शिक्षा नीति में वंचित वर्गों, महिलाओं तथा ट्रांसजेंडर्स को सामाजिक न्याय के पैमाने पर वरीयता दी जानी चाहिए।
युवा समाज वैज्ञानिक डॉक्टर अखिलेश पाल (प्रयागराज) ने आंग्ल भाषा के वर्चस्व पर प्रहार किया तथा केंद्रीकरण की प्रवृत्तियों का विरोध किया। उन्होंने रोजगार के क्षेत्र में शिक्षा की वकालत की।
प्राचार्य डॉ ममता शर्मा ने सभी अतिथियों, वक्ताओं तथा श्रोताओं का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन वेबीनार के समन्वयक डॉ पुष्पेंद्र कुमार मिश्र ने किया। इस अवसर पर ज्ञान प्रकाश तिवारी डीपीओ हापुड़, राजकीय तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर मध्य प्रदेश के डॉक्टर अमित भूषण द्विवेदी, डीएन महाविद्यालय गुलावठी के अवधेश कुमार सिंह, पीयूष त्रिपाठी, डॉ विनय कुमार सिंह, संदीप कुमार सिंह, भवनीत सिंह बत्रा, श्रीमती विनीता गर्ग, हरिदत्त शर्मा आदि उपस्थित रहे।
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Dr. Pradeep Kumar Mishra, Keynote Speaker Dr. Arvind Kumar, Chief Guest