देवनागरी महाविद्यालय, गुलावठी के रसायन-विज्ञान-विभाग के द्वारा गूगल मीट पर बौद्धिक-सम्पदा अधिकार विषयक एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग-मन्त्रालय के अन्तर्गत पेटेण्ट्स एवं डिजाइन्स विभाग में सहायक नियन्त्रक के पद पर कार्यरत मोहम्मद अतीक उल्लाह इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता रहे। मुख्य वक्ता ने सर्वप्रथम बौद्धिक-सम्पदा का अर्थ स्पष्ट करते हुये बताया कि इंसानी दिमाग में उत्पन्न कोई भी विचार जो किसी भी रूप में व्यक्त होता है, बौद्धिक-सम्पदा कहलाता है। उन्होंने बौद्धिक-सम्पदा को भौतिक सम्पदा से श्रेष्ठ एवं बेहतर बताया। उन्होंने कहा कि कोई भी बौद्धिक सम्पदा बाँटने से कम नहीं होती है। उन्होंने बौद्धिक सम्पदा से सम्बन्धित पाँच महत्वपूर्ण तकनीकी शब्दों पेटेण्ट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, भौगोलिक-सूचक तथा डिजाइन्स को बहुत सुन्दर ढंग से समझाया।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. योगेश कुमार ने बौद्धिक-सम्पदा अधिकार के सम्बन्ध में कहा कि बौद्धिक सम्पदा आर्थिक रूप से मूल्यवान् सूचना है। उन्होंने यह भी बताया कि जिस प्रकार कोई व्यक्ति भौतिक सम्पत्ति का स्वामी हो सकता है ठीक उसी प्रकार कोई बौद्धिक सम्पत्ति का भी स्वामी हो सकता है। कार्यशाला की संयोजिका श्रीमती विनीता गर्ग ने कहा कि बौद्धिक संपदा के संरक्षण के लिए बौद्धिक-सम्पदा अधिकारों का पता होना जरूरी है। सह-संयोजक श्री नरेश कुमार ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की। संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर हरिदत्त शर्मा ने कार्यक्रम का सार प्रस्तुत करते हुये कहा कि बौद्धिक सम्पदा को न बाँटा जा सकता है न चुराया जा सकता है और न हि कम किया जा सकता है। डॉ. विनय कुमार सिंह ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यशाला में डॉ. महेन्द्र कुमार, डॉ. पुष्पेन्द्र कुमार मिश्र, श्री संदीप कुमार सिंह, श्री नवीन तोमर, श्री अमित कुमार आदि लोग मौजूद रहे।