पंचायती राज दिवस के अवसर पर राजनीति विज्ञान विभाग, देवनागरी महाविद्यालय, गुलावठी बुलंदशहर द्वारा ‘लोकतंत्र के आधारभूत स्तंभ के रूप में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका’ विषय पर एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया।
वेबिनार को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्य विकास अधिकारी डी डी शुक्ल ने कहा कि 1992 में पंचायती राज संस्थाओं के संवैधानिक रूप लेने से निर्बल तथा उपेक्षित वर्गों की राजनीति में भागीदारी बढ़ी है तथा वे सशक्तिकरण की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। राजनीतिक सक्रियता में वृद्धि के कारण उनमें निर्णय निर्माण तथा नेतृत्व क्षमता का विकास हुआ है। आवश्यकता इस बात की है कि इन संस्थाओं को नौकरशाही के दबाव से मुक्त कराया जाए तथा उनके हाथों में स्वयं के लिए कर वसूलने तथा उसे स्थानीय जरूरतों के हिसाब से तरीके से खर्च करने की आजादी दी जाय।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर योगेश कुमार त्यागी ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं से नागरिकों में लोकतंत्र की भावना मजबूत हुई है तथा उनका राजनीतिक समाजीकरण हुआ है।
इसके पूर्व कार्यक्रम के मुख्य संयोजक डॉ पुष्पेंद्र कुमार मिश्र ने विषय का परिचय देते हुए कहा कि पंचायती राज संस्थाएं लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की मूलभूत इकाई तथा नियोजन व विकास के लिए प्राथमिक इकाई है।
मुख्य वक्ता का परिचय पीयूष त्रिपाठी ने दिया तथा आभार ज्ञापन भवनीत सिंह बत्रा ने किया। इस अवसर पर डॉ विनय कुमार सिंह, डॉ अमित भूषण द्विवेदी, विनीता गर्ग, तथा अनेक छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।