देवनागरी स्नातकोत्तर महाविद्यालय गुलावठी, बुलंदशहर में अर्थशास्त्र विभाग द्वारा “कौटिल्य के आर्थिक विचारों की वर्तमान प्रासंगिकता” विषय पर एक व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो0 योगेश कुमार त्यागी ने कहा कि प्राचीन भारत के राजशास्त्रियों में कौटिल्य का स्थान सबसे ऊँचा है और उसे शासन, कला तथा कूटनीति का सबसे महान् प्रतिपादक माना जाता है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य हरिदत्त शर्मा ने कहा कि कौटिल्य के आर्थिक विचारों एक लोक कल्याणकारी राज्य के दर्शन के अनुरूप हैं। राजा द्वारा लिए जाने वाले करों के संबंध में कौटिल्य ने कहा है कि राजा को जनता से उसी प्रकार कर लेना चाहिए जिस प्रकार सूरज पृथ्वी से जलवाष्प लेकर वर्षा करता है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि समाजशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य कृष्ण कुमार ने कहा कि कौटिल्य ने अपराधों के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया था।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पीयूष त्रिपाठी ने कहा कि कौटिल्य के सप्तांग सिद्धान्त में ‘कोष’ शब्द का संबंध मजबूत राजकोष व अर्थव्यवस्था से है। बिना मजबूत राजकोष के विजगीषु अपने राज्यक्षेत्र का विस्तार नहीं कर सकता।
विशिष्ट अतिथि शशि कपूर ने कहा कि अर्थशास्त्र में अर्थ का अभिप्राय भूमि से है।वास्तव में अर्थशास्त्र भूमि के प्रबंधन का संपूर्ण दस्तावेज है।
व्याख्यानमाला के संयोजक अर्थशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर भवनीत सिंह बत्रा ने कहा कि इस शृंखला का अगला व्याख्यान डॉ भीमराव आंबेडकर के आर्थिक विचार विषय पर 9 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा।
इस अवसर पर महेंद्र कुमार, विनीता, संदीप कुमार सिंह, नवीन तोमर,हरीश कुमार कसाना, शशि कपूर, अमित कुमार तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।