दिनांक 11 दिसंबर 2022 को भारतीय भाषा दिवस के उपलक्ष में डीएन कॉलेज गुलावठी के हिंदी विभाग द्वारा एक राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया । वेबिनार की अध्यक्षता कालेज प्राचार्य प्रोफेसर योगेश कुमार त्यागी ने की । वेबीनार के मुख्य अतिथि कॉलेज के राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर पीयूष त्रिपाठी तथा मुख्य वक्ता डीएवी कॉलेज बुलंदशहर के हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर संतोष कुमार यादव रहे।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्राचार्य प्रोफेसर योगेश त्यागी ने कहा की समस्त भारतीय भाषाएं भाषाई सद्भाव की स्थापना करती है। भाषाएं सामाजिक एवं सांस्कृतिक धरोहर को संजो कर रखती हैं ।किसी भी जाति का इतिहास उसकी भाषा के द्वारा जाना जा सकता है। यदि किसी जाति के इतिहास को समाप्त करना है तो सबसे पहले उसकी भाषा को समाप्त किया जाता है। हमारी सरकार का पूरा पूरा प्रयास है कि भारत की समस्तओ भाषा तथा लोक भाषाओं को संरक्षित किया जाए जिससे कि स्वस्थ एवं प्रगतिशील समाज की स्थापना हो सके । भारत एक बहुभाषी देश है यह अनेकता में एकता का संवाहक है । भारत की यही विशेषता उसे विश्व में अनूठा बनाती है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर संतोष कुमार यादव ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत देश बहुभाषी देश है । भारतीयता की अवधारणा में भारतीय भाषाओं का महत्वपूर्ण योगदान है । विश्व की समस्त भाषाएं अनमोल हैं। भाषाएं सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधता का मूल होती है । समस्त भाषाएं मिलकर भारतीयता का निर्माण करती हैं। पूर्व में भाषाएं राजनीति का शिकार भी हुई है । भाषा का राजनीतिकरण प्रगतिशील राष्ट्र निर्माण में बाधक होता है । सभी भाषाओं का संरक्षण नितांत आवश्यक है। जिससे कि भाषा की अस्मिता को बचाया जा सके।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाविद्यालय के प्रोफ़ेसर पीयूष त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमें भाषाओं के प्रति उदार होने की आवश्यकता है। भाषाओं का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए । यह भविष्य के लिए घातक होता है। भारत में भाषा की दृष्टि से भी अनेकता में एकता है । भाषाई शब्द का अर्थ संदर्भगत होता है । हमें भाषाओं को थोपना नहीं है । भाषा को बहुसंख्यक दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए । हम सभी को अपनी भाषा से इत्तर एक अन्य भाषा सीखने का प्रयास अवश्य करना चाहिए । जिससे संस्कृतियों का आदान-प्रदान होता है तथा एक स्वस्थ, सुंदर और प्रगतिशील राष्ट्र का निर्माण होता है।
आभाषीय गोष्ठी का संचालन महाविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर संदीप कुमार सिंह ने किया तथा अपने विचारों से उन्होंने छात्रों का मार्गदर्शन किया अपने वक्तव्य में प्रोफ़ेसर सिंह ने कहा कि प्रतिवर्ष 11 दिसंबर को तमिल महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती के उपलक्ष में भारतीय भाषा दिवस मनाया जाता है । महाकवि सुब्रमण्यम भारती तमिल भाषा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार रहे हैं । सुब्रमण्यम भारती ने उत्तर तथा दक्षिण भारत के मध्य भाषाई सेतु बनाने के महत्वपूर्ण एवं दुष्कर कार्य को सफल करने हेतु सदैव प्रयास किए ।
राष्ट्रीय वेबीनार के सफल आयोजन के संदर्भ में धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय के प्रोफेसर हरीश कसाना ने दिया । मुख्य अतिथि , मुख्य वक्ता तथा आभाषीय गोष्ठी के अध्यक्ष के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए प्रोफेसर हरीश कसाना ने कहा कि भारतीय भाषा दिवस के उपलक्ष में आयोजित की गई यह गोष्ठी छात्र हित को ध्यान में रखकर आयोजित की गई । निसंदेह महाविद्यालय के छात्र इस गोष्ठी के द्वारा भारत देश की भाषायी स्थिति को जानने एवं समझने के प्रति अग्रसर होंगे । गोष्ठी में 30 से अधिक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। महाविद्यालय में इस प्रकार के कार्यक्रम समय-समय पर संचालित किए जाते हैं जिससे छात्रों को विविध प्रकार से विशिष्ट वक्ताओं, प्रोफेसरों के तथ्यात्मक एवं शोध परक विचारों से अधिक से अधिक लाभ मिल सके । महाविद्यालय के लिए छात्र हित सर्वोपरि है तथा इस कथन की पूर्णता एवं सिद्धि के लिए महाविद्यालय के सभी प्रोफेसर पूर्ण निष्ठा एवं लगन के साथ संलग्न हैं