देवनागरी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गुलावठी के हिंदी विभाग द्वारा आज दिनांक 10 जनवरी को ‘विश्व हिंदी दिवस’ के शुभ अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. योगेश कुमार त्यागी ने की । अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य जी ने कहा कि हिंदी जनमानस की सरल भाषा है। वैश्वीकरण के युग में हिंदी का विस्तार व्यापक रूप से हो रहा है। हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए व्यावहारिक शब्दों का अधिक प्रयोग करना चाहिए। हिंदी में सरल से सरलतम शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। हिंदी रिश्तों को सशक्त बनाती है।
महाविद्यालय के प्रो. पुष्पेंद्र मिश्र ने कहा कि राजनीति को छोड़ भाषायी एकीकरण आवश्यक है। हिंदी आज भारत के दक्षिण भाग में भी फल फूल रही है। प्रो. कृष्ण कुमार ने कहा कि हिंदी का भविष्य उज्ज्वल है। प्रो. भवनीत सिंह बत्रा ने कहा कि हिंदी आज वाणिज्य की दृष्टि से अत्यंत विकास कर रही है। फिल्मों, नाटकों, समाचार चैनलों द्वारा हिंदी व्यापार का बड़ा क्षेत्र बन गई है । अनुवाद के द्वारा हिंदी का व्यापक प्रसार हो रहा है। प्रो. हरिदत्त शर्मा ने कहा कि हिंदी का अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए। हिंदी विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा है । हिंदी की वर्णमाला विश्व में सबसे वैज्ञानिक है। हिंदी हमारी अस्मिता की पहचान है।
प्रो. विनय सिंह ने कहा कि हिंदी से ही हिंदुस्तान की पहचान है। हिंदी संबंधों को दृढ़ता प्रदान करती है। कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ. हरीश कसाना ने कहा कि अनुवाद के द्वारा हिंदी वैश्विक पटल पर पहचान बना रही है। कार्यक्रम में छात्रा काजल यादव, अर्पिता गोयल, सुमैय्या परवीन तथा छात्र शिवा पीलवान, प्रमोद कुमार, अनुज कुमार आदि ने कविता के माध्यम से विश्व हिंदी दिवस पर अपने विचारों को व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन संदीप कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर श्री कृष्ण कुमार, श्री शशि कपूर, श्री अमित कुमार, श्री दीपांशु, कुमारी मुस्कान तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।