राजनीति विज्ञान विभाग, देवनागरी महाविद्यालय गुलावठी बुलंदशहर द्वारा आज़ादी का अमृत महोत्सव तथा मिशन शक्ति अभियान के अंतर्गत 1857 की क्रांति में महिलाओं का योगदान विषय पर एक वेबिनार का आयोजन गूगल मीट पर किया गया।
वेबिनार में मुख्य वक्ता शासकीय तुलसी महाविद्यालय, अनूपपुर की इतिहास की असिस्टेंट प्रोफेसर पूनम धांडे ने कहा कि 1857 की क्रांति का नेतृत्व झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई तथा लखनऊ की बेगम हज़रत महल जैसी वीरांगनाओं द्वारा किया गया। उन्होने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई के साथ झलकारी बाई जैसी योद्धाओं ने कदम से कदम मिलाकर स्वाधीनता संग्राम की लड़ाई लड़ी थी। क्रांति के प्रतीक रोटी और कमल के प्रचार का प्रमुख माध्यम महिलाएं ही थी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य प्रो0 योगेश कुमार त्यागी ने कहा कि मेरठ में क्रांति की शुरुआत महिलाओं द्वारा क्रांति करियों को ललकारने के बाद की गयी थी। यद्यपि अपनी सीमाओं के कारण वे हर जगह समान रूप से सक्रिय नहीं रह सकीं, फिर भी असैन्य सेवा के द्वारा उन्होने क्रांतिकारियों के मनोबल को ऊंचा बनाए रखा।
इसके पूर्व कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए डॉ पुष्पेंद्र कुमार मिश्र ने कहा कि 1857 की क्रांति में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी रही। इसमें समाज के सबसे कमजोर वर्गों किसानों, छोटे जमींदारों, आदिवासियों तथा तथा महिलाओं ने एक शोषणपरक व्यवस्था के विरुद्ध मिलजुलकर विद्रोह किया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए पीयूष त्रिपाठी ने कहा कि क्रांतिकारियों का मनोबल बढ़ाने बढ़ाने के लिए उन्होने अपने गहने तक बेच दिये थे।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ विनय कुमार सिंह ने किया।
इस अवसर पर डॉ अवधेश कुमार सिंह, डॉ अमित भूषण द्विवेदी, विनीता गर्ग, भवनीत सिंह बत्रा, संदीप कुमार सिंह, नरेश कुमार तथा बड़ी संख्या मे छात्र छात्राएं मौजूद रहे।